रामप्रसाद जी,कमलकिशोर जी के यहां पहुंचे तो उन्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ा।कमल किशोर जी अपनी माताजी के पैरो में दवा का लेप लगा कर मालिश कर रहे थे।उनकी माता जी की कूल्हे की हड्डी टूट गई थी
80साल की उम्र में उसका कोई समुचित उपचार संभव नहीं था।उनका सारा काम बिस्तर पर ही करवाना पड़ता था।उनकी सारी जिम्मेदारी कमलकिशोर जी पर ही थी।
रामप्रसाद जी अंदर ही आ गए।*** मातृ दिवस के कार्यक्रम से लौट रहा था।सोचा आपसे मिलता चलूं।बहुत अच्छा कार्यक्रम था।प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर शहर के सभी गणमान्य नागरिकों से मुलाकात हो गई।मां के बारे में दिल को छू लेने वाली रचनाएं सुनने को मिली।**
**तुम भी तो आमंत्रित थे।तुम क्यों नहीं पहुंचे।*
कमल किशोर जी के कुछ बोलने से पहले ही उनकी पत्नी बड़बड़ाई **इनको अपनी मां से फुर्सत मिले,तब कहीं जाए।पूरे टाइम अपनी मां में ही लगे रहते है।किसी ढंग के काम के लिए इनके पास टाइम ही कहां है।**
कमल किशोर जी समझ नहीं पा रहे थे कि ढंग का काम क्या होता है।
डॉ पुनीत कुमार
T-2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M - 9837189600
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