शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर की लघुकथा -----तोता


"अरे वाह, यह तो बहुत सुंदर तोता पकड़ में आ गया। विनोद छुट्टी में घर लौट रहा है, उसके लिए यह एक अच्छा गिफ़्ट होगा....", छुट्टियों में घर आ रहे अपने इकलौते बेटे विनोद के स्वागत की तैयारी में लगे राजेश्वर, अचानक हाथ आ गए तोते को पिंजरे में क़ैद करते हुए खुशी से चहके। तभी मोबाइल की रिंग ने उनका ध्यान भंग किया -
"हलो, राजेश्वर जी बोल रहे हैं ?", उधर से आवाज गूंजी।
"जी हाँ, कहिये", सुंदर तोता  पकड़ने की खुशी में राजेश्वर  चहकते हुए बोले।
"देखिये, मैं विनोद के कॉलेज का प्रिंसिपल बोल रहा हूँ। दरअसल, आज कुछ आतंकवादी हमारे कॉलेज में घुस आए थे। वह कुछ छात्रों को कैद करके अपने साथ ले गए हैं। दुर्भाग्य से आपका बेटा विनोद भी उनकी कैद में है। परन्तु, चिंता न करें रिपोर्ट कर दी गई है......", प्रिंसिपल साहब ने घबराते हुए एक ही साँस में पूरी घटना बता दी।
सुनते ही राजेश्वर के चेहरे पर छाई खुशी गायब हो चुकी थी‌। उनकी आँखों के आगे घबराहट भरा अँधेरा अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका था, और उधर, पिंजरे में कैद तोता छूटने का असफल प्रयास करता हुआ लगातार फड़फड़ा रहा था‌‌।
अब राजेश्वर के काँपते हाथ  पिंजरे का दरवाजा खोलने के लिए बढ़ चुके थे।

 राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद

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