शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ----- एडजस्ट


‘’अरे वाह गीता तुमने इस टू रूम के फ़्लैट  में सब सामान कितने अच्छे से एडजस्ट किया है।कम जगह में सामान एडजस्ट करने की कला तो बस तुम्हें ही आती है।बड़ा फ्रिज,दो बेड,वॉशिंग मशीन,डाइनिंग टेबल,ड्रेसिंग टेबल सब व्यवस्थित है ।कमाल है..........अरे तुमने अपनी शादी में मिली अलमारी को यहाँ एडजस्ट किया ।बहुत ख़ूब...........पर इन फ़्लैट में तो अपने आप ही अलमारी   बनी हुई मिलती है।इसे सेल कर सकती थी तुम !‘’रुचि  ,गीता के नए फ़्लैट को देखकर लगातार उसकी तारीफ़ करती जा रही थी ।’’अरे ये अलमारी मेरी शादी की है।बहुत मज़बूत है ।मुझे इससे एक अजीब सा लगाव है मैं इसे सेल नही कर पायी और देखो इस कोरनर में ये कितने अच्छे से एडजस्ट हो गयी है। अगर हम चाहें ,तो सब एडजस्ट हो जाता है।’’गीता  ,रुचि से बात ही कर रही थी कि गीता का पति विवेक ओवन लेकर आ गए ।’’इसे किचन में लेफ़्ट में रख दीजिए ।’’गीता ने विवेक को ओवन की जगह बता दी।’’अरे सुनो गीता ...मम्मी पापा कल आयेंगे ।बड़े भैया और भाभी अमेरिका जा रहे है इसलिए अब वो हमारे साथ ही रहेंगे।’’विवेक ने ओवन रखते हुए गीता से कहा।’’तुम भी कैसी बात करते हो विवेक इस टू रूम के फ़्लैट में वो कैसे रह पायेंगे।यहाँ एडजस्ट नहीं हो पाएगा, तुम उनका कुछ और इंतज़ाम कर दो ।’’गीता ने विवेक से बिना देर किए कह दिया।रुचि वहाँ खड़ी सब सुन रही थी पर गीता की कही बातों को  समझ नही पा रही थी कि कमी जगह की है या ............उसके कानो में गीता के कहे शब्द गूँज रहे थे, अगर हम चाहें, तो सब एडजस्ट हो जाता है।

  प्रीति चौधरी
  गजरौला
 ज़िला -अमरोहा

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