शनिवार, 18 जुलाई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा------अपना अपना दुख


घर में धीरे धीरे भीड़ होने लगी थी।आस पास के लोग,परिचित,संबंधी,सब बराबर आ रहे थे।लगभग सात घंटे पहले प्रेमप्रकाश जी का निधन हो गया था।
प्रेमप्रकाश जी चार साल पहले ही सरकारी नौकरी से रिटायर हुए थे।पत्नी के निधन के बाद से ,अपने पुत्र
अजय के साथ ही रहा करते थे।घर में उनके और उनके पुत्र के अलावा,पुत्रवधू रश्मि,दस साल का पोता ऋषभ और एक प्यारा सा कुत्ता शेरू भी था।
           सब अपने अपने तरीके से शोक जता रहे थे।
अजय बहुत उदास था।उसके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी **पिताजी की पेंशन से घर के ऋण की किश्त आसानी से जमा हो जाती थी।अब किसी ना किसी खर्चे में कटौती करनी पड़ेगी**।उसकी पत्नी रश्मि लगातार रोए जा रही थी **अब घर की सब्जी और फल कौन लेकर आया करेगा *।पोता ऋषभ सोच रहा था -- अब मेरे साथ लूडो कौन खेला करेगा।
     उनका पालतू कुत्ता शेरू सुबह से एक कोने में गुमसुम सा बैठा था उसने सुबह से कुछ खाया भी नहीं था।उसकी सूनी आंखो में आंसू अलग ही दिख रहे थे।

डॉ पुनीत कुमार
T -2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M - 9837189600

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