बुधवार, 22 जुलाई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार नृपेंद्र शर्मा सागर की लघुकथा ----- रिश्ता


"विवाह की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी हैं, बस कुछ गहने और कपड़े 'रुचि' के लिए लेने बाकी हैं", शम्भू नाथ जी मुस्कुरा कर अपनी पत्नी से बोले।
"बहुत अच्छा 'रिश्ता' मिला है हमारी रुचि के लिए, बहुत ही भले लोग हैं। इतने उच्च विचार और अच्छे संस्कारों वाले परिवार में हमारी रुचि बहुत खुश रहेगी", उनकी पत्नी दुर्गा देवी ने खुश होकर कहा।
अभी ये लोग बातें कर ही रहे थे तभी रुचि के होने वाले ससुराल से फ़ोन आया।
"नमस्कार भाई साहब, कैसे हैं आप और आपके परिवार में सब?" शम्भू जी ने फ़ोन उठाकर स्पीकर पर डालते हुए औपचारिता निभाई।
"अजी हमारे हाल छोड़िये औऱ ये बताइये कि क्या आपकी बड़ी बेटी ने प्रेम विवाह किया है? और वह भी अंतरजातीय? माफ करिए शम्भू नाथ जी हमारे यहाँ आपका 'रिश्ता' नहीं जुड़ सकता", उधर से तीखी आवाज आई और इससे पहले कि ये कुछ बोलते फ़ोन कट गया।

नृपेन्द्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद
9045548008

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