शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की कहानी -----' टूटा सितारा'


​      ऑटो से उतर कर​  नीता तेज कदमों से ऑफिस की ओर बढ़ी जा रही थी, आज फिर 10 मिनट लेट हो गई थी   पूरे रास्ते उसके मन में  द्वंद चलता रहा था.
​ जब भी  नीता किसी छोटे बच्चे को रोते हंसते हुए देखती उसके भीतर की ममता तड़प उठती थी.
​ समय की   ठोकर और विपरीत परिस्थितियों ने उसे बहुत ही मजबूत बना दिया था परंतु    वह एक स्त्री थी और उसके भीतर  भी एक कोमल हदय था .
​  थोड़ी लेट तो हो गई थी सभी उसकी तरफ देख रहे थे  वह नजरें चुराते हुए जाकर अपनी सीट पर बैठ गई.
​ फिर भी उसको ऐसा लग रहा था मानो सभी उसकी  तरफ ही देख रहे हो.
​" मैम बॉस ने आपको केबिन में बुलाया है!"
​" जी!" कहते हुए  वह उठकर बॉस के  केबिन की ओर चली गई.
​  बॉस पता नहीं क्या-क्या समझा रहे थे उसके समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था, या यह कहा जाए कि उसका मन था ही नहीं वहां पर तो अतिश्योक्ति नहीं होगा.
​ उसका मन अभी भी बाहर नुक्कड़ पर रो रहे बच्चे के पास ही था, जो बैठा अकेला रो रहा था. नीता का हृदय चीत्कार कर उठा था.
​ इसी उम्र का तो है उसका बेटा रोहन बिल्कुल उसी की तरह मासूम निश्चल जिसे परिस्थितियों ने उसको उससे दूर कर दिया.
​ "क्या हुआ नीता कोई प्रॉब्लम है क्या?" बॉस ने फिर कहा.
​ "नहीं सर ऐसी कोई बात नहीं है!"
​" अब तुम जा सकती हो!"
​" जी!" कहती हुई नीता केबिन से बाहर आकर अपनी सीट पर बैठ गई.
​ नीता का काम में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था आज... उसने अपना मोबाइल निकाला और नंबर मिलाने लगी. मगर अगले ही पल उसकी उंगलियां फिर से रुक  गई.
​ उसने गहरी सांस लेते हुए मोबाइल एक तरफ रख दिया और फिर से काम करने लगी.
​ तभी बराबर वाली सीट पर बैठी अलका अपने बेटे से बात करने लगी थी फोन पर.
​" हां बेटा मैंने तुम्हारे लिए कटलेट्स  बनाए है तुम खा लेना... और दोपहर को दाल चावल दादी को बिल्कुल परेशान मत करना!"  सुनकर नीता का मन भर आया उसकी आंखों में आंसू आ गए.
​ रोहन कैसा होगा पता नहीं... कोई उसका ध्यान रखता भी हो गया नहीं?
​  अतीत को कितना भी भुलाना चाहो मगर वह कभी पीछे नहीं छोड़ता और अगर मैं अपनी औलाद से जुड़ा हुआ हो तो तो बिल्कुल नहीं.
​ नीता टेबल पर सिर रख कर लेट गई और उस मनहूस घड़ी को कोसने  लगी जब उसने   निशांत से प्रेम विवाह करने का निश्चय किया था.
​ घर वालों में कितना समझाया था कि लड़का तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है लेकिन उसके ऊपर तो प्रेम का भूत सवार था उसने किसी की एक न सुनी और अपनी मर्जी से निशांत से कोर्ट मैरिज कर ली.
​ थोड़े दिन बाद ही निशांत ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया.  नौकरी छोड़कर घर में ही पड़ा रहने लगा और बहुत अधिक ड्रिंक करने लगा था उसके साथ मारपीट हुई करने लगा था. और इस समय उसकी मम्मी उसका साथ देती थी.
​ जब है पेट से हुई तो उसे खुशी हुई कि शायद अब रोहन बदल जाए लेकिन उसकी हरकतें तो दिन  ब दिन और ज्यादा बद से बदतर  गई.
​​
​ बेटे रोहन के जन्म के बाद भी उसके व्यवहार में जरा भी परिवर्तन नहीं हुआ बल्कि और ज्यादा मारपीट करने लगा था. इससे तंग आकर  नीता ने उसको छोड़ने का फैसला कर लिया.
​ इस पर निशांत ने उस पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाया और बेटे को उसको देने से साफ इनकार कर दिया   वह जानता था कि  नीता अपने बेटे के बिना नहीं रह पाएगी और 1 दिन लौट कर जरूर वापस  आएगी.​
​​ नीता ने अपना सिर उठाया और फिर से काम में लग गई लेकिन वह अपने मन में  अब यह निश्चय कर  चुकी थी कि अपने बेटे  रोहन से दूर नहीं  रहेगी.
​ उसने फिर से फोन उठाया और नंबर डायल कर लिया फोन उसके सासू मां ने उठाया था.
​  जब उसने बात करने को कहा अपने  बेटे से  तो उसकी  सास ने उसको गालियां देनी शुरू  कर  दी.
​  नीता का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा मैं उठकर बॉस की केबिन में गई और उनसे कहा कि सर आज उसे जरूरी काम से बाहर जाना इसलिए आज हाफ डे के बाद  चली जाएगी.
​ बॉस ने कहा कि आज तो छुट्टी नहीं मिल पाएगी कल  पूरे  दिन की लीव ले  लेना .
​ नीता ने हां में गर्दन हिलाई और वापस आकर अपनी सीट पर बैठ गई.
​ शाम को वह घर गई और झटपट अपना बैग लगाया 1 घंटे का रास्ता था उसके ससुराल का और उसके कमरे का.
​ उसने अपने ससुराल के डोर बेल बजाई तो दरवाजा उसके साथ में खोला.
​ " अब क्यों आई हो जाओ यहां से.. !"सास ने मुंह बनाते हुए का.
​"  यहां रहने कौन आया है?" नीता ने तपाक से कहा.
​ इतने में रोहन भी वहां आकर खड़ा हो गया और मम्मी मम्मी  कहता हुआ  नीता से चिपट गया.
​ नेता ने उसको अपने सीने से लगा लिया और बार-बार उसके मुंह  और हाथों को दुलारने  लगी.
​" अब  यह मेरे साथ रहेगा!" नीता ने  रोहन को गोदी में उठाते हुए.
​ और कुछ भी बिना बोले बाहर निकल  गई.
​ उसकी सास  चिल्लाती हुई उसके पीछे  भागी  लेकिन  नीता ने मुड़कर नहीं देखा.
​  अब हर प्रकार की कानूनी लड़ाई लड़ने  के लिए तैयार थी.

​राशि सिंह
​मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

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