शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा ----बेहयाई


समाज किस दिशा में जा रहा है ,यह सोंच कर विवेक बाबू चिंतित रहते थे । ।शांति प्रिय और समाज को दिशा दिखाने वालों को कभी- कभी लोभी और कुचालों के चक्कर में मानहानि और जीवन की हानि भी हो जाती है ।
विवेक बाबू एक सुलझे हुए कर्मठ शिक्षकों में से एक ।धूमधाम से बेटे का दहेजरहित विवाह किया ।बहु को बेटी का सम्मान दिया । और अपनी अधूरी पुस्तक ,बहु ही बेटी,को पूरा करने लगे।विवाह के दस दिन बाद बहु ने पति के साथ नोक झोंक में अपना हाथ चाकू से काट लिया और बूढ़े स्वसुर पर मारपीट का आरोप लगाकर उन्हें कारागार भिजवा दिया । पति को डरा धमका कर बड़ी बेहयाई से ससुराल में रह रही है पर घर का जो मुखिया है ,अपनी पुस्तक आज कारागार में ही पूरा करने को मजबूर है । क्योंकि बहु ही बेटी है ,को सिद्ध जो करना है।

डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद

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