बुधवार, 29 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा --------- लक्ष्मी


          जेठ जी गांव में जाकर बड़े ताव में बोले "अब,दूसरा भी बेटा हुआ है ,हमारी घर वाली बड़ी लक्ष्मी आई है।देखो ,सब अच्छा ही हो रहा है ।मकान भी बन गया ।हम शहर में भी पहुँच गए।मजे से कट रही है जिंदगी ।"रसोई में चाय बना रही अवनि अपने लक्ष्मी होने पर संशय में थी ।70हजार की उसकी महीने की कमाई और उसके पति की 72हजार की कमाई किसी की नजर में नहीं थी ।एक बेटी को जन्म देने वाली अवनि  स्वयं में लक्ष्मी होने के कुछ प्रमाण खोजने में लगी थी ।

डॉ प्रीति हुँकार
 मुरादाबाद

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