बुधवार, 1 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की लघु कथा ----- तलाक


आज न्यायालय में उपस्थित जज़ साहब भी आश्चर्य थे जब उन्होंने सुना कि शादी के 28 साल बाद उर्मिला ने अपने पति से तलाक लेने हेतु मुकदमा डाला है।समाज के वे एक खशहाल परिवार के रुप में माने जाते थे।
       जज़ साहब बोले," एक बार सोच लीजिए "।उर्मिला बोली ,"सोच कर ही किया है श्रीमान।जब इनके विवाहेत्तर सम्बध को साक्षात अपनी आँखों से देखा था उसी दिन इन्हें छोडने का निश्चय कर लिया था ।मगर  परिवार की इज्ज़त का वास्ते कुछ न कर सकी।किन्तु मन से अपना न सकी।समाज के तलाक शुदा के बच्चों के प्रति व्यवहार जानते हुए,हम दोनों ने अलग अलग कक्षो मे रहने का फैसला लिया।और एक सहमति पत्र बना लिया था।आज मेरी बेटी की भी शादी हो चुकी है। बेटा भी अच्छे पद पर काम कर रहा है।आज वो मेरी स्थिति को समझ सकते है।उन्हें भी आपत्ति नहीं है। अपने समस्त उत्तरदायित्व मैने निबाहे है ।अब अपने सम्मान केसाथ जीना चाहती हूं।जज़ साहब पिछले 20वर्षों से केवल दिखावे के रिश्ते से आजादी चाहती हूँ।"

✍️ डा.श्वेता पूठिया
मुरादाबाद

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