"अरे तारा बाबू, आज पड़ोस के पार्क में स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जा रहा है। देखने चलोगे ना ?" अपने परिवार में अकेले बचे वृद्ध तारा बाबू से उनके दोस्त महेन्द्र ने पूछा।
"नहीं भाई, वहाँ भीड़ बहुत है, अब इस उम्र में क्या धक्के खाऊँ। मैं तो आज घर पर ही रह कर स्वतंत्रता दिवस मनाऊँगा"... कहते-कहते तारा बाबू की आँखों में चमक आने लगी थी।
"घर पर रहकर मनाओगे, मगर कैसे ?" पूछते हुए महेन्द्र के चेहरे पर आश्चर्य के भाव उभर आये थे।
"अभी लो", कहते-कहते तारा बाबू ने अपने घर के एक कोने में रखा पिंजरा खोला और उसमें कैद तोते को उड़ा दिया।
"जय हिन्द"....जय हिन्द.....जय हिन्द"....... वृद्ध तारा बाबू के मुख से निकल रहे जोशीले नारे सुनसान पड़े घर में गूंज उठे थे।
✍️राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद
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