कभी मारना, कभी गालियां देना ,कभी बिना किसी बात उसके चरित्र को दाग लगाना ,यही सब सहते अवनि को 10 वर्ष बीत गए ।दो बच्चों की परवरिश पूरी तरह अवनि ने सम्हाली ।उसकी मेहनत की कमाई पर पति का हक था ,पर पति अपनी कमाई कहाँ डालता है,यह पूछने की हिम्मत न जाने किस डर से वह कभी न कर सकी ।
अति रूपमती ,धनलक्ष्मी पत्नी और मां सब होने पर भी वह किसी भी पद का सम्मान अर्जित न कर सकी । एक अहसान किया उसने अवनि के नाम के साथ अपना नाम जोड़कर ,जिसका उसको जीवन भर लाभ मिलता रहा । साथ रहकर भी साथ न रहने का एहसान अवनि के अस्तित्व को मिटा ही गया था।
✍️ डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद
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